
इस बार की जनगणना डिजिटल यानी मोबाइल एप के जरिए होगी
दरअसल 23 सितंबर 2020 को गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था डिजिटल इंडिया मिशन को बढ़ावा देने के लिए इस बार की जनगणना भी डिजिटल यानी मोबाइल एप के जरिए होगी और पेपर वर्क नहीं होगा। ये जनगणना मार्च 2021 में होगी और 16 भाषाओं में की जाएगी। इस ऐप में लोगों के पैन नंबर, वोटर कार्ड नंबर और आधार नंबर्स डाले जाएंगे। इस दौरान लोगों के राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी यानी की NPR के भी आंकड़े लिए जाएंगे। 9 से 28 फरवरी, 2021 तक जनगणना यानी लोगों की गिनती होगी। इसके बाद 1 मार्च से 5 मार्च के बीच जमा हुए डेटा की प्रोसेसिंग होगी।
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हर 10 साल के बाद होती है जनगणना
मालूम हो कि किसी देश अथवा किसी भी क्षेत्र में लोगों के बारे में विधिवत रूप से सूचना प्राप्त करना एवं उसे रिकार्ड करना जनगणना (census) कहलाती है। यह हर 10 साल के बाद की जाती है और शासकीय आदेश के तहत की जाती है। जनगणना में केवल लोगों की गिनती नहीं जानी जाती है बल्कि इसके जरिए लोगों के आर्थिक हालात, स्वास्थ्य की स्थिति, शिक्षा की स्थिति, घर, रोजगार जैसी बातों का अध्ययन किया जाता है। यही नहीं जनगणना के जरिए जन्मदर, मृत्युदर, भाषा, धर्म, जाति, पलायन जैसी बातों की जानकारी जुटाई जाती है।

डेटा प्रोसेसिंग सेंटर
जनगणना के ही आधार पर सरकार देश के लिए प्लान तैयार करती है कि कहां और कैसे चीजों की भरपाई करती है। होम मिनिस्टिरी ही इस जनगणना की प्रक्रिया को अंजाम देती है। इसके लिए लोगों से कुछ आम सवाल किए जाते हैं, जिन्हें पर्ची पर लिखा जाता है, जिसमें नाम, लिंग, धर्म, जाति, रोजगार जैसे सवाल होते हैं। इन पर्चियों को एक टीम के सदस्य घर-घर लेकर जाते हैं और लोगों को भरवाते हैं और उसके बाद सारे डेटा को डेटा प्रोसेसिंग सेंटर ले जाकर कम्प्यूटराइज़्ड टेक्स्ट में बदला जाता है।

जनगणना के लिए ऐप का इस्तेमा
लेकिन इस बार ये सब नहीं होगा बल्कि इस बार तकी जनगणना के लिए ऐप का इस्तेमाल होगा, जिसमें एक सवाल ये पूछा जाएगा कि क्या आपके पास इंटरनेट का एक्सेस है कि नहीं। इस ऐप में 34 सवाल पूछे जा सकते हैं, इस पूरे प्रासेस को 33 लाख कर्मचारी अंजाम देंगे। जिसमें लोगों के सामाजिक-आर्थिक डेटा भी शामिल होंगे। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बर्फपात से प्रभावित इलाकों में 11 सितंबर 2020 से ही प्रोसेस शुरू हो गया था क्योंकि यहां बर्फबारी की वजह से अभी काम करना वहां काफी मुश्किल होता।
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